TO LIVE IN THE PRESENCE OF THE LORD
The lessons with Shiva were endless. They had to be. His talk was profound, but so was His silence.
“You seem to be talking to me even when you are silent. Is it true or is it because i love you more than my own life?”She asked.
“Silence is a language only a few understand,” said Shiva. “Those special moments when silence speaks, when stillness gives wings,” He whispered.
Even His smile was profound. Everything about Him was the embodiment of wisdom. Sati noticed that there were traces of this wisdom even when He joked.
“Do you believe in Reincarnation?” He asked one day.
“Only if I get to be with you,” She replied.
And that was the essence of Sati's life: To live with Shiva in every life. And that is also the goal of the Bhakt: To live in the presence of his Lord in every birth.
Aum Namah Shivaye.
~ Shail Gulhati: Shiva and Mysticism.
प्रभु की उपस्थिति में रहने के लिए
शिवजी के साथ सबक अंतहीन थे। उन्हें होना ही था। उनकी बात गहरी थी, लेकिन उनकी खामोशी भी थी।
“आप चुप रहते हुए भी मुझसे बात करते दिखते हैं। क्या यह सच है या ऐसा इसलिए है क्योंकि मैं आपको अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करती हूं?" उन्होंने पूछा।
"मौन एक ऐसी भाषा है जिसे केवल कुछ ही समझते हैं," शिवजी ने कहा। "वे विशेष क्षण जब शांति बोलती है, जब शांति पंख देती है," वह फुसफुसाए।
यहां तक कि उनकी मुस्कान भी गहरी थी। उनके बारे में सब कुछ ज्ञान का अवतार था। माता सती ने देखा कि मजाक करने पर भी इस ज्ञान के निशान थे।
"क्या आप पुनर्जन्म में विश्वास करते हैं?" एक दिन शिवजी ने पूछा।
"केवल अगर मैं आपके साथ रहूँ," सती ने जवाब दिया।
और यही माता सती के जीवन का सार था: हर जीवन में भगवान शिव के साथ रहना। और यही भक्त का लक्ष्य भी है: हर जन्म में अपने भगवान की उपस्थिति में रहना।
ओम् नमः शिवाय।
Hindi translation by Yash NR
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